दमा (अस्थमा) क्या होता है उसे कैसे ठीक करें
दमा अस्थमा एक काफी दुख देने वाला रोग है और बड़ी मुश्किल से जाता है. प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा यह रोग भी अन्य हठी रोगों के भांति आसानी से दूर किया जा सकता है.
प्राकृतिक चिकित्सा से दमा को पूर्ण रूप से ठीक किया जाता है।
स्वांस लेने वाली नलिकाओं के संकुचित होने पर उनमें कफ जकड़ जाता है. इसके कारण रोगी को श्वास लेने में कठिनाई महसूस करता है. जब सीने में असंख्य ग्रंथियां कफ़ से जकड़ जाती हैं तो दमे का दौरा पड़ता है. जो आधा घंटे या इससे अधिक भी रह सकता है. जब कफ ढीला पड़कर निकलने लगता है तो दमे का दौरा कम हो जाता है.
कब्ज होने से ही सीने की ग्रंथियों में कफ जकड़ता है. कब्ज के कारण रक्त दूषित हो जाता है और दूषित रक्त से शरीर में कफ की उत्पत्ति होती है.
दमा या अस्थमा का अटैक रात्रि में या सूर्योदय के कुछ पहले विशेष रुप से होता है। दमे का दौरा सर्दी, बरसात, गर्मी कभी भी हो सकता है. रोग पुराना हो जाने पर सर्दी, खांसी, हिचकी गरिष्ठ और अधिक भोजन आदि करने से दौरा आरंभ हो जाता है। दमा कई प्रकार का होता है और बालक, युवा और बूढ़े किसी को भी हो सकता है.
दमा या अस्थमा के मुख्य कारण
फेंफड़ों की दुर्बलता से. हृदय की दुर्बलता से. गुर्दों की दुर्बलता से. आंतों की दुर्बलता से. स्नायु तंत्र की दुर्बलता से. नाक रोगों के फल स्वरूप. कब्ज के रहने से, पेट खराब रहने से.
दमा (अस्थमा) की रोकथाम कैसे करें
रोग का आरंभ होते ही नमक, सफेद चीनी छोड़ देनी चाहिए. फल दूध सब्जी, गेहूं का दलिया या बिना छने आटे की रोटी खाकर रहना चाहिए. रोज सुबह प्रातः काल शौच आदि से निवृत्त होकर सुखासन में बैठकर गहरी और लंबी स्वास फेफड़ों में भरनी-छोड़नी चाहिए. प्रातकाल टहलने की आदत बनानी चाहिए. पेट को साफ रखने का पूरा प्रयत्न करें और कब्ज कभी ना होने दें.
शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले करना चाहिए. भोजन खूब चबा चबाकर करना चाहिए। भोजन करते समय पानी नहीं पीना है. भोजन करने के 1 घंटे बाद पानी पी सकते हैं. धुंए और गंदी हवा से बचें. प्रातः काल धूप का सेवन करें उसके बाद छाती पर तेल मालिश करें. सप्ताह में 1 दिन का उपवास. शाम को प्रतिदिन 1 घंटे के लिए सीने पर गीले कपड़े की पट्टी रखें. बस इतना ही करने से साधारण दमे की बीमारी दूर हो जाती है और वो अपनी जड़ नहीं जमा पाता.
प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा दमा का उपचार
सुबह शौच आदि से निवृत होने के बाद पेट पर आधे घंटे मिट्टी की पट्टी लगाएं. उसके बाद एनिमा का प्रयोग करना है। उसके बाद 12 फुट लंबे और 8 इंच चौड़े सूती कपड़े को भिगोकर सख्त निचोड़कर छाती कंधों के ऊपरी भाग पर पट्टी बांधना चाहिए. यह पट्टी एक घंटे तक बाँधी जा सकती. सप्ताह में 5 से 10 मिनट रोगी के संपूर्ण शरीर को भाप स्नान करना चाहिए.
उपचार के आरंभ में रोगी को कम से कम 3 से 7 दिनों तक उपवास. एनिमा, नींबू का रस मिश्रित जलपान के साथ करना चाहिए. उसके बाद 3 दिनों तक फलों के रस सलाद आदि पर रहना चाहिए. उसके बाद सवेरे फल व सलाद, दोपहर तथा शाम को रोटी, उबली सब्जी और सलाद लेना चाहिए. इसी प्रकार अपने भोजन व्यवस्था को बनाकर रखेंगे तो आप दमा से पूर्ण रूप से मुक्ति पा लेंगे. यदि हम कुछ करेंगे तो लाभ निश्चित होगा नहीं करेंगे तो लाभ कैसे होगा.
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